Page 91 - ISS Profectus E Magazine
P. 91

दप ण
                                                                                                        म न तुमको बचपन स दखा ह,
                                                                                                                                   े
                                                                                                                                          ै
                                                                                                            े
                                                                                                                                 े
                                                                                                 तु हारी हर  वाइश को क़रीबी स परखा ह,
                                                                                                                                       े
                                                                                                                                                 ै
                                                                                                    तु हारी ख़ूबसूरती को रोज़  नखारा ह,
                                                                                                                                              ै
                                                                                                म न तुमको आज स नह  बचपन स दखा ह ।
                                                                                                                                        े
                                                                                                                                                 ै
                                                                                                                      े
                                                                                                                                          े
                                                                                                    े
                                                                                                            तुम नह  लाई थी मुझ ,
                                                                                                                                     े
                                                                                                          न तुमन चुनवाया था मुझ ,
                                                                                                                                       े
                                                                                                                   े
                                                                                                     पर  यार पूरा  कया था म न तुझस ,
                                                                                                                                           े
                                                                                                                                   े
                                                                                                            फर नरफ़रत  य  करन लगी त मुझस?
                                                                                                                                     े
                                                                                                                                             ू
                                                                                                     मेरी तारीफ़  म कछ कमी रह गई थी ?

                                                                                                                        ु
                                                                                                   क समाज बं दश  म बढ़ोतरी हो गई थी?

                                                                              समाज और उसका खेल आज स नह  पर पता नह  कब स चला आ रहा ह?
                                                                                                                                                  े
                                                                                                                    े
                                                                                            पर तुझ य दखकर आज मेरा  दल बैठा जा रहा ह।
                                                                                                          े
                                                                                                                                                     ै
                                                                                                     े
                                                                                                        ूँ
                                                                                                          मुझ तुझस बात करन क  आज़ाद  नह ,             े              ै
                                                                                                             े
                                                                                                                    े
                                                                                                                                 े
                                                                                                                                      ँ
                                                                                                                      े
                                                                                                       बस तुझको दखकर खड़ा   वह ।
                                                                                                      मेरी मौजूदगी म म न कई जुम दख ,
                                                                                                                                         े

                                                                                                                            े

                                                                                                                                            े
                                                                                                                                        े

                                                                                                 पर तेरा जुम तो  सफ़ साँवला होन का ह ।
                                                                                                                                               ै

                                                                                        म वह  दप ण    जसक पीछ उन बं को को  छपाया गया,
                                                                                                                         े
                                                                                                          ँ

                                                                                                                  े
                                                                                             मुझ ऐस ही तो नह  इस द वार पर चुनवाया गया।
                                                                                                       े
                                                                                                  े
                                                                                   म वही दप ण    जसन अपनी आँख  स तेरी मा को मार खात दखा,
                                                                                                                                े
                                                                                                                                                         े
                                                                                                                                                            े
                                                                                                                                         ँ

                                                                                                    ँ
                                                                                                             े
                                                                                               पर म आज तक अपन मुँह स कछ नह  बोला।

                                                                                                                        े
                                                                                                                                   ु
                                                                                                                                े
                                                                                    म वही दप ण    जसन तेर भाई क साथ    वहार होत  ए दखा,
                                                                                                                                                          े

                                                                                                     ँ
                                                                                                              े
                                                                                                                                                   े
                                                                                                                  े
                                                                                                                           े
                                                                                                                        े
                                                                                                                                े
                                                                                                                                   ु
                                                                                               पर आज तक म अपन मुँह स कछ नह  बोला।

                                                                                      म वह  दप ण    जसन तेरी बहन को पंख प लटकत दखा था,
                                                                                                                                        े
                                                                                                                े
                                                                                                                                                    े
                                                                                                                                     े
                                                                                                       ँ

                                                                                                                                                  े

                                                                                                 य  क उसका इस समाज म दम घुटता था।
                                                                                म वही दप ण    जसन शराब क नश म तेर बाप को  या नह  करत दखा?
                                                                                                                                      ू
                                                                                                         े
                                                                                                                                                            े
                                                                                                                                                               े
                                                                                                                         े

                                                                                                                   े

                                                                                                                                े
                                                                                                 ँ
                                                                                                                                   ु
                                                                                                                        े
                                                                                                                                े
                                                                                               पर आज तक म अपन मुँह स कछ नह  बोला।

                                                                                                                       90
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