Page 92 - ISS Profectus E Magazine
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तेर दा  मुझ तेरी मा को सजान क  लए लाए थ ,
                                                                                                           े
                                                                                                                                    े
                                                                                                                                                    े
                                                                                                 े
                                                                                                                    ँ
                                                                                                                                 े
                                                                                                                        े
                                                                                                                                                        े

                                                                                                                                      े
                                                                                                                  े
                                                                                                     ँ
                                                                                                        े
                                                                                         पर तेरी मा न घूँघट क पीछ  सफ़ अपन घाव  छपाए थ।
                                                                                        तेरी मा क माथ क   ब द  अभी भी मेर कोन पर लगी  ई ह।
                                                                                                ँ
                                                                                                         े
                                                                                                  े
                                                                                                                                          े
                                                                                                                                    े
                                                                                                                                                       ै
                                                                                           उसक   स  र-दानी आज भी मेरी मेज़ पर रखी  ई ह ।
                                                                                         अब त मुझस पूछगी  क मुझ बोलन न आज़ाद  नह  थी,
                                                                                                        े
                                                                                                                          े
                                                                                                                                  े
                                                                                                                                     े
                                                                                                             े
                                                                                                 ू
                                                                                                 तो  या तेरी मा क  भी ज बान कट गई थी?
                                                                                                                  ँ
                                                                              समाज और उसका खेल आज स नह  पर पता नह  कब स चला आ रहा ह?
                                                                                                                    े
                                                                                                                                                 े
                                                                                                                                   े
                                                                                                                                                         ै
                                                                                       एक औरत क  सूनी माँग को हमेशा स ठकराया जा रहा ह ।
                                                                                                                                     ु
                                                                                         अब त मुझस पूछगी  क मुझ बोलन क  आज़ाद  नह  थी,
                                                                                                             े
                                                                                                                          े
                                                                                                ू
                                                                                                        े
                                                                                                                                  े
                                                                                               तो  या तेर भाई क  भी आज़ाद   छन गई थी?
                                                                                                            े
                                                                              समाज और उसका खेल आज स नह  पर पता नह  कब स चला आ रहा ह?
                                                                                                                    े
                                                                                                                                                 े
                                                                                        मद  पर अ याचार नह  होता य हमेशा स माना जा रहा ह।
                                                                                                                            े
                                                                                                                                                         ै
                                                                                                                                       े
                                                                                      म वह  दप ण    जसन हर इनसान क दो-दो चेहर  को दखा ह,
                                                                                                       ँ
                                                                                                                                े
                                                                                                                                                      े

                                                                                                               े
                                                                                                  उनको पल-पल रंग बदलत भी दखा ह।
                                                                                                                                              ै
                                                                                                                                        े
                                                                                                                                 े
                                                                                        म वह  दप ण    जसन समाज क असली  प को दखा ह,                        ै  ै  ै  ै ै
                                                                                                                                                   े
                                                                                                                             े
                                                                                                         ँ

                                                                                                                  े

                                                                                                      हर वग क  वाथ को पहचाना ह ।
                                                                                                                 े
                                                                                                                                          ै

                                                                                        इस बाली उ  म  य  उसक  बात  को  दल पर ल रही हो?
                                                                                                                                                 े

                                                                                              अंदर ही अंदर रोज़ घुट-घुटकर  य  मर रही हो?
                                                                                            अगर तुमको मेरी आँख  क सामन कछ हो जाएगा,
                                                                                                                                      ु
                                                                                                                                   े
                                                                                                                          े
                                                                                             तो मेर मुँह स आज  फर कछ नह  बोला जाएगा ।
                                                                                                    े
                                                                                                                           ु
                                                                                                            े
                                                                                                                                                     े
                                                                                                                             ँ
                                                                                                 े

                                                                                                                                                           े
                                                                                    मेरी तरफ़ दख  ब टया और म बताऊगा तेरी ख़ूबसूरती क बार म।

                                                                                                य  क तु हारी ख़ूबसूरती को रोज़  नखारा ह,             ै
                                                                                                म न तुमको आज स नह  बचपन स दखा ह ।
                                                                                                                                        े
                                                                                                                      े
                                                                                                                                          े
                                                                                                                                                 ै
                                                                                                    े
                                                                                                                 By Ananya Tripathi
                                                                                                                              XII C
                                                                                                                       91
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