Page 95 - ISS Profectus E Magazine
P. 95

खुशी-एक मीठा एहसास,एक
                                                                                                                े
                                                                                                   सोचन का नज़ रया
                                                                                                    म कस क  खुशी होती ह  या,

                                                                                                          ै
                                                                                                                                     ै
                                                                                                                   ँ
                                                                                                             े
                                                                                                      यह तो ह एक मीठा एहसास,
                                                                                                                 ै
                                                                                                        एक सोचन का नज़ रया।
                                                                                                                      े
                                                                                               न ह बालक क  पहली मासूम मुसकान,
                                                                                                    े
                                                                                                   वह मा क  गोद,  नेह,अ भमान,
                                                                                                            ँ
                                                                                                 बाबूजी का ब   क  लए ब लदान।
                                                                                                                          े
                                                                                          बड़ी बहन का छोट भाई स जानबूझकर हारना,
                                                                                                                  े
                                                                                                                            े
                                                                                                       वह  ेम स  ठना मनाना।
                                                                                                                     े
                                                                                                 बाबूजी क  महीन क  पहली  मठाई,
                                                                                                                       े
                                                                                                                                     े
                                                                                                                   े
                                                                                                                े
                                                                                                 वह रसगु ल क  लए द द  स लड़ाई।
                                                                                                हार कर  गरना और  गरकर सँभलना,
                                                                                            वह  फर भी साइ कल चलाकर  कल जाना।
                                                                                                                                        ू
                                                                                                मा टर जी स छप कर  ड ब स खाना,
                                                                                                                 े
                                                                                                                    ु
                                                                                                                                    े
                                                                                                                                       े
                                                                                          वह दो त  क साथ  म   म लोट-पोट घर जाना।
                                                                                                         े

                                                                                                   बचपन स सै नक बनन क  चाह,
                                                                                                                                 े
                                                                                                                े
                                                                                                                े
                                                                                                         वह दश-भ   क  राह।
                                                                                                          ना ही  बक ना ही घट,
                                                                                                                                     े
                                                                                                                       े
                                                                                                           यह तो बाँटन स बढ़।
                                                                                                                                    े
                                                                                                                               े
                                                                                                                           े
                                                                                                    म कस क  खुशी होती ह  या,
                                                                                                                                     ै
                                                                                                                   ँ
                                                                                                             े

                                                                                                          ै
                                                                                     यह तो ह एक मीठा एहसास, एक सोचन का नज़ रया।
                                                                                                                                         े
                                                                                                ै
                                                                                                   By Maleha Mahvish VIII A
                                                                                                                       94
   90   91   92   93   94   95   96   97   98   99   100